
बिलासपुर। जनसेवा का वायदा कर घर घर वोट मांगने वाले नगर निगम के जनप्रतिनिधि अब लाट साहबी झाड़ रहे। बदहाल सड़के बजबजाती नाले नालियों को दुरुस्त करा व्यवस्था बनाने के बजाय कोई बंगला गाड़ी तो कोई अच्छे पोर्टफोलियो की जुगत में लग गए। गाड़ी मिली उसको वापस लौटा रहे कि ये नही वही वाली गाड़ी चाहिए।
निश्चित तौर पर मतदान का प्रतिशत कम होने की एक वजह ये भी है। शायद वोट न करने वाले लोगो ने मान लिया है कि इस सिस्टम से होना जाना कुछ नही है। इतना ही नही करीब 3000 मतदाताओ ने दोनों दल के मेयर पद के प्रत्याशी समेत सभी 8 प्रत्याशियो को वोट देने के बजाय नोटा का बटन दबाकर अपने गुस्से का इजहार कर दिया। जो जीते वे ही बता सकते है कि जितने के लिए उन्हें क्या नहीं करना पड़ा। क्योकि देखने वालों ने तो केवल ये देखा कि लोकतंत्र के पर्व में होता क्या और कैसें है।
मेयर और सभापति तय होने के बाद अब 14 एमआईसी सदस्यों के लिए जोर आजमाइश का दौर चल रहा। चूंकि निगम में तीन विधानसभा के क्षेत्र शामिल है इसलिए सब अपने अपने क्षेत्र के विधायकों के दरबार मे हाजिरी लगा रहे।
किसी ने बंगले के लिए आवेदन कर दिया तो किसी को गाड़ी पसन्द नही आ रही, अड़ने पर बताया गया कि आप जो मांग रहे उस गाड़ी की पात्रता आपको नही है पर पसन्द का ख्याल रखते हुए लक्जरी गाड़ी की व्यवस्था करनी ही पड़ी।
नये ठेकेदार भी
सत्ता परिवर्तन के बाद माहौल में भी तब्दीली आ गई है, विभागों में नए- पुराने ठेकेदार भी कागज पाथर लेकर ठेकेदारी और सप्लाई कार्य के लिए आफिस के चक्कर काट रहे। कुल मिलाकर सब है अपने अपने जुगाड़ में टाइप का मामला हो गया है।
भैया से निवेदन करके आ गए
पार्षदो का कहना है कि एमआईसी में शामिल करने की मांग को लेकर वे अपनी बात अपने नेता के सामने रख चुके है, उन्हें उम्मीद है कि इस बार एमआईसी में अच्छा पोर्टफोलियो मिलेगा।

