
0 एनएसयूआई ने गुरुवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंप लगाया था आरोप
0 सवालों का जवाब देने तैयार नही महर्षि यूनिवर्सिटी प्रबन्धन के अफसर

बिलासपुर। साढ़े दस एकड़ जमीन की अफरा-तफरी के आरोप पर में महर्षि यूनिवर्सिटी प्रबन्धन के अफसरों की बोलती बंद है। कुलसचिव विजय गरुडिक कह रहे उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नही। पीआरओ से पूछिए वही पीआरओ संतोष कुमार यादव कह रहे कि जब इतने बड़े अफसर को कुछ पता नही तो वे क्या बताएंगे।

चर्चित महर्षि यूनिवर्सिटी पर अब 10.50 एकड़ जमीन की फर्जी बिक्री का आरोप है। एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने गत गुरुवार को कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर
महर्षि यूनिवर्सिटी प्रशासन पर शासन से शैक्षणिक कार्य के लिए मिली जमीन को बेचने का गंभीर आरोप लगाया । कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में एनएसयूआई के प्रदेश सचिव ने कहा कि 2002-03 में कांग्रेस शासनकाल मे महर्षि शिक्षण संस्थान को शैक्षणिक कार्य के लिए शासन ने जमीन आबंटित की थी।

2020 में सशर्त दी गई 38 एकड़ जमीन में से करीब 10.50 एकड़ जमीन को अलग-अलग लोगों को फर्जी तरीके से बेच दिया गया। उनका दावा है कि उनके पास इस जमीन की बिक्री से संबंधित दस्तावेज मौजूद हैं,

जिन्हें वे जांच के दौरान सक्षम अफसर के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। एनएसयूआई ने यूनिवर्सिटी प्रबन्धन पर नियमों के उल्लंघन और शासन, यूजीसी (यूनीवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन) और सरकार के साथ धोखा करने का आरोप लगाते हुए, विश्वविद्यालय की मान्यता को तत्काल समाप्त कर इस घोटाले में शामिल जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।

