
0 करोड़ो की सफाई के बाद भी बजबजाते नाले नालियों और नदी के ठहरे गन्दे पानी से मंडराया जनस्वास्थ्य का खतरा
0 फॉगिंग मशीनें ठप, लार्वा कंट्रोल के नाम पर दौड़ाया जा रहा हर माह पौने दो लाख का कागजी घोड़ा

बिलासपुर। हर माह सफाई व्यवस्था पर करोड़ो खर्च करने के बाद भी पसरी गन्दगी, नदी में ठहरे गन्दे पानी और बजबजाते नाले-नालियों के कारण मच्छरों का संक्रमण बढ़ते जा रहा है। पिछले कुछ सालों से हर घर के राशन के बजट में मच्छररोधी उपकरण और संसाधनों पर लाखों खर्च करने के बाद भी लोगो को मच्छरों से निजात नही मिल पा रहा। जिससे शहर में जनस्वास्थ्य का खतरा मंडरा रहा है। स्थानीय प्रशासन शहरवासियों को मच्छरों से निजात तक नही दिला पा रहा। डीजल-पेट्रोल की खपत कम दिखाने के चक्कर मे जहाँ फॉगिंग मशीनें ठप पड़ी है, वही लार्वा कंट्रोल के नाम पर भी सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ाया जा रहा। मच्छरों के दंश से लोग खुजला खुजलाकर हलाकान है।
निगम प्रशासन ने ठेकेदारो की बेगारी पर लगाम लगाकर डीजल पेट्रोल की खपत कम दिखाने पहले तो फॉगिंग मशीनों को ही बन्द करा दिया। जब मच्छरों के दंश से हलाकान नागरिकों ने हल्ला मचाया तो जनप्रतिनिधियों के दबाव में फॉगिंग मशीनों को सेंट्रल जॉन के बजाय सभी 8 जॉन में भिजवा दिया गया। इसके बाद से ज्यादातर जॉन में फॉगिंग मशीने कबाड़ होते पड़े है, जिन वार्डो में चले गए और मशीने बिगड़ी तो वही डंप कर दिए गए।
पौने सो लाख के लार्वा कंट्रोल का काम तो केवल कागजो पर ही च रहा। नतीजतन मच्छरों की फौज बढ़ती ही जा रही है। इसके कारण हर घर मे मच्छर रोधी यंत्र अगरबत्ती और मेट का खर्चा बाद गया है। हर घर के राशन के बजट में मच्छर रोधी उपकरण लिक्विड मेट्स मच्छर अगरबत्ती और क्वाइल का खर्च भी शामिल है। पर लोगो को बावजूद इसके मच्छरों से निजात मिल नही रहा।
क्या कह रहे लोग

