

बिलासपुर। पूर्व मंत्री और नगर विधायक अमर अग्रवाल द्वारा स्मार्ट सिटी लिमिटेड बिलासपुर के 77 लाख रुपये के एफडीआर अफरा-तफरी कांड और निगम व स्मार्ट सिटी के अनिमितताओं की जांच और कार्रवाई कराने के दावे से फिर खलबली मच गई है। निगम आयुक्त और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के एमडी अमित कुमार ने मामले में सफाई दी थी कि एफडीआर को गायब कर भुनाया नही गया बल्कि एफडीआर को रिनिवल करने के लिए निकाला गया था, जांच के बाद सम्बन्धित ठेकेदार पर उन्होंने उसके खिलाफ 18 लाख का जुर्माना ठोकने की बात भी कही थी।
इधर निकाय चुनाव के ठीक पहले पूर्व मंत्री ने इस आशय का बयान देकर फिर ठंडे एफडीआर कांड को गर्म कर दिया है। अब देखना होगा कि ये केवल चुनावी भपका है या सच मे इस मामले में कार्रवाई होगी।
*ये है मामला*
बताया जा रहा कि सन 2021 में स्मार्टसिटी लिमिटेड द्वारा टेंडर प्रक्रिया के बाद इस ठेकेदार को महाराणा प्रताप चौक के आसपास नाला निर्माण का ठेका दिया गया था। तय प्रक्रिया के तहत ठेकेदार द्वारा 77 लाख को अमानत राशि एफडीआर जमा कराया गया। आरोप है कि चर्चित ठेकेदार ने काम ही नही किया और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अफसरों और स्टाफ से सांठगांठ कर एफडीआर को फाइल से निकलवा बैंक से एफडीआर की रकम भूना लिया
विधायक से लेकर छात्र नेता की मंडवाली रही चर्चा में
इस एफडीआर कांड को लेकर कुछ छात्र नेताओं और एक विधायक की मांडवाली को लेकर भी खूब चर्चा रही।
एक कांड कई संदेह
इस एफडीआर कांड के उजागर होने के बाद इस बात को लेकर भी चर्चा रही कि ये तो एक मामला है यदि सारे टेंडर फाइलों की जांच करा ली जाय तो और भी ऐसे कई मामले सामने आएंगे क्योकि ठेके के इस खेल में दुसरो के नाम पर खुद ठेका लेने वाले कुछ इंजीनियर और नेता ठेकेदार कैसे गलबैया डालकर चलते आ रहे सारा शहर देख रहा।

