
0 सेंट्रल और स्टेट मिनिस्टर के शहर के निगम में गफलत ही गफलत
0 आखिर वह कौन सी ताकत जिसके सह पर चल रहा बड़ा- बडा खेल

बिलासपुर। पहले मुर्गी आई या अंडा छत्तीसगढ के न्यायधानी के नगर पालिक निगम के भवन शाखा में चल रहे भवन अनुज्ञा और नियमितीकरण के खेल ने फिर यही सवाल खड़ा कर दिया है। क्योकि यहाँ नक्शा पास होने से पहले और एक और प्रकरण में भवन के अस्तित्व में आने से पहले भवन का नियमितिकरण कर दिया गया। न जाने ऐसे और कितने मामले होंगे पर टेंशन लेने का नही क्योकि सन्देश क्लियर है , कि मीडिया में जो चल रहा चलने दो। होना जाना कुछ नही है। तभी तो ठेकेदारो के 93 करोड़ के एडवांस घोटाले से लेकर 77 लाख के एफडीआर चोरी और धोखाधड़ी तक सारे मामले निर्बाध ढंग से निबटा दिए गए। पब्लिक भी हैरान है कि आखिर वो कौन सी ताकत है कि इंटरनेट और ऑनलाइन के जमाने मे इतना भद्रा मचने के बाद हो कुछ नही रहा।

मामला इसलिए भी गम्भीर है कि खुद नगर निगम के भवन शाखा के अधिकारी ने मंगला चौक के पास नियम विरुद्ध बिना एक इंच जगह छोड़े गौरवपथ-उसलापुर बाईपास रोड के कार्नर पर दो मंजिल और पेंट हाउस का नक्शा पास कर तीन मंजिला भवन का निर्माण करा उसका नियमितीकरण भी करा लिया। वो भी तब जब उनके भवन का नक्शा नवम्बर 2023 में पास होना रिकार्ड में दर्ज है ।

जबकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जुलाई 22 के पूर्व अस्तित्व में आये भवनों के नियमितीकरण का आदेश जारी किया था।
बांस बल्ली हटा नही हो गया नियमित

अब तोरवा और देवरीखुर्द मोड़ के बीच मेनरोड के इस 4 मंजिला भवन को आप खुद देख लीजिए बांस बल्ली लगा दिख रहा। 2 मंजिल के भवन अनुज्ञा पर भवन मालिक ने 4 मंजिल तान दिया इसके बावजूद गत 28 दिसम्बर 2023 को इस भवन को नियमित कर भवन मालिक गौरव मोदी को नियमितीकरण का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।

सवाल यह उठ रहा कि जब सरकार बदल गई कोई नया आदेश आया नही नियमितीकरण की बैठक हुई ही नही तो इस भवन को कैसे नियमितीकरण कर भवन मालिक को नियमितीकरण का प्रमाण पत्र टिका दिया गया।
इस तरह के ये दो मामले है जो सामने आए है न जाने और ऐसे कितने भवन है जिन्हें बनने से पहले ही नियमित कर दिया गया। वही 4600 आवेदकों के आवेदनों को यह कहकर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया कि सत्ता परिवर्तन के बाद शासन का कोई नया आदेश अभी तक नही आया नियमितीकरण समिति की बैठक नही हो रही। शासन का आदेश आने के बाद शेष बचे प्रकरणों का निराकरण किया जाएगा।

: पक्ष- विपक्ष मौन
नगर निगम में एडवांस घोटाले से लेकर ठेकेदार द्वारा अफसरों और स्टाफ से मिली भगत कर 77 लाख के एफडीआर को निकाल कलर फोटोकापी लगा ठेकेदार द्वारा काम पूरा होने पहले ही एफडीआर की राशि का आहरण कर धोखाधड़ी करने और निर्माण कार्यो में हवाला का पैसा लगने तक का मामला सामने आ चुका अफसरों ने कुछ किया नहीं भाजपा में जो कुछ चल रहा सब वाकिफ है, आक्रोशित कार्यकर्ता अपने ही सरकार के खिलाफ आग बबूला है पर कुछ बोलने की स्थिति में नही है। विपक्ष के नेता तक इतने बड़े-बड़े मामले के सामने आने के बाद मौन क्या है ये समझ से परे है।

