

बिलासपुर। संभागीय मुख्यालय से महज 10 -12 किलोमीटर दूर ग्राम मोहरा के ग्रामीण अपने बच्चों की जान को जोखिम में डालकर शासकीय स्कूल मे पढ़ाने विवश है। स्कूल के ठीक सामने बेलतरा मटियारी बाईपास रोड पर दिन – रात कोयला लोड 22 और 24 चक्के वाले ट्रेलरों का आना जाना लगा रहता है। स्कूल में बुनियादी सुविधाओं तक का टोटा है! आलम ये है, कि गैस सिलेंडर और चूल्हा धूल खाते पड़ा है और बच्चों के मध्यान्ह भोजन का भजिया कढ़ी और भात ईट के चूल्हे पर लकड़ी से पकाया जा रहा है!
मटियारी – बेलतरा बाईपास रोड के किनारे संचालित मोहरा शासकीय स्कूल में पहली से पाचवी कक्षा तक लगभग पौने दो सौ बच्चे है, इन बच्चों को पढ़ाने एक प्रभारी प्रधान पाठक समेत कुल 3 शिक्षक है! स्कूल परिसर की बाउंड्रीवाल जगह जगह से टूटी पड़ी है! बच्चें रह रह कर बाहर निकल रहे है, भारी वाहनों की आवाजाही हो रही जिससे कभी भी कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है।
स्कूल प्रशासन ने कई बार डीईओ को पत्र भेज कर स्कूल के सामने की बाउंड्रीवाल को बनवाने आवेदन किया पर आज तक बाउंड्रीवाल नही बनवाई गई! स्कूल परिसर में छात्राओं के लिए महज एक बाथरूम है! छात्रों और टीचरों के लिए प्रसाधन तक की कोई व्यवस्था नही है!

स्कूल के पीछे के एक धुंआ भरे कमरे में तीन महिलाएं मध्यान्ह भोजन तैयार करती मिली जब उनसे पूछा गया, कि गैस सिलेंडर और चूल्हा कहा है तो उन्होंने कोने में कपड़े से ढककर रखे सिलेंडर और चूल्हे को दिखाते हुए बताया कि चूल्हा खराब होने के कारण वे लोग लकड़ी से ही खाना पका रहे है!
सवाल यह उठ रहा है कि स्कूलों में टीचर और प्रसाधन बाउंड्रीवाल जैसी जरूरी सुविधाये जुटाने के बजाय सरकारें आखिर कब तक बैनर,पोस्टर पर पैसा बहाकर वाहवाही लूटती रहेगी कब तक बच्चों और उनके पालको को इसी तरह शिक्षा के नाम पर गुमराह किया जाता रहेगा।

