
बिलासपुर। रतनपुर तहसील के एक पटवारी पर रिश्वतखोरी का गंभीर आरोप लगा है, और इससे जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमे वे सामनें खडे किसान से खटाखट नोट गिनवा लेते दिखाई दे रहै । इस आशय का आरोप लगाते हुए पीड़ित किसान ने कलेक्टर को ज्ञाप सौपा है। वीडियो इसी रिश्वत कांड का बताया जा रहा। पर सीजीडीएनए इसकी पुष्टि नही करता।
कृषक केवलदास मानिकपुरी का आरोप है कि पटवारी … ने
30 हजार रुपये घुस लेने के बाद भी उसकी भूमि का ऑनलाइन पंजीकरण नही किया।
किसान के मुताबिक पटवारी ने उसकी खसरा नंबर 78 की भूमि का ऑनलाइन पंजीकरण कराने और ऋण पुस्तिका बनाने के लिए 60,000 रुपये रिश्वत मांगा था , किसान ने साहूकार या किसी से 10 प्रतिशत कर्ज में 30,000 रुपये लेकर पटवारी को घर पर 30000 दिया था! पर
पटवारी ने आधा पैसा लेने के बाद भी न तो भूमि का ऑनलाइन पंजीकरण किया और न ही ऋण पुस्तिका बनाकर देने का वायदा पूरा किया। जब पटवारी ने रकम लेने के बाद भी काम नही किया तो आधुनिक युग के इस किसान ने उस समय मोबाइल से बनाया गया पटवारी द्वारा रिश्वत लेते हुए एक वीडियो क्लिप को वायरल कर राजस्व विभाग में काम के नाम पर साय साय चल रहे खटाखट भ्र्ष्टाचार का वीडियो ववयरल कर पूरे सिस्टम को घुटने पर ला दिया।

चर्चा है कि राजस्व अमले के कर्ताधर्ता अब रिश्वत नही आसामी देखकर हिस्सा मांग रहे कि इतने की प्रॉपर्टी है इतना परसेंट लगेगा टाइप का खुला खेल चल रहा। ताज्जुब है कि भ्र्ष्टाचार के दावों के बीच सरकारे आ और जा रही लेकिन लक्ष्मी पुत्र बने विभाग की कार्यप्रणाली नही सुधर रही, सरकारें और जिम्मेदार अफसर व्यवस्था को पटरी में लाने के बजाय फलाना दर्शन और पोस्टर बाजी कर हल्ला बस मचा रहे। आम नागरिक कागज- कागज के खेल से झुंझला गया है, जिनके एक नही कई उदाहरण भी समय पर सामने आ चुके है, और आ रहे है पब्लिक को उम्मीद है कि अब ये सरकार जमीनों के चल रहे खुले खेल से नागरिकों को राहत दिलाएगी, क्योकि जो लोग आरोप लगा रहे थे कि बिलासपुर में जमीन उड़ रहा अब कमान उन्ही के हाथों में है। जनता देख गुन रही कि सरकार प्रदेश भर में चल रहे जमीनों के बंदरबाट और कही का कही चिड़िया बिठाने वालो पर कुछ करेगी कुछ व्यवस्था बनाएगी या वो तमाम जुमले जो नेताओ ने भूमि सुधार को लेकर किये थे वो केवल चुनावी घोषणा बनकर रह जायेगा।
और उससे भी ब्लंडर
बतायां जा रहा कि तहसीलदार ने कृषक के आवेदन पर उसकी भूमि का मौका मुआयना करा इसके आदेश की एक प्रति भी केवलदास को प्रदान की थी। केवलदास का दावा है कि आदेश की वह प्रति उसके पास मौजूद भी है! कृषक ने पटवारी पर पूरी प्रक्रिया में टालमटोल और धोखाधड़ी का आरोप लगा पटवारी के खिलाफ कार्रवाई और बतौर रिश्वत दिए गए 30,000 रुपये को वापस दिलवाने मांग का भी आवेदन दिया है।

