

बिलासपुर। निगम प्रशासन के अफसर और ठेकेदार जनस्वास्थ्य से खुला खिलवाड़ कर रहे। सफाई के अभाव में बजबजाते नाले- नालियों और गन्दगी के ढेर से मच्छरों की फौज पनप रही। डेंगू मलेरिया का खतरा मंडरा रहा जोन कार्यालयों में भेजने के बाद से फॉगिंग मशीनें ठप्प पड़ी है। वही 1 लाख 80 हजार रुपये मासिक के लार्वा कंट्रोल के काम का भी कोई माई बाप नही। ये हम नही नगर सरकार के जनप्रतिधि कह रहे। जबकि हर माह ठेकेदार को भुगतान किया जा रहा।
बताया जा रहा कि 3-4 माह पूर्व 1 पार्षद के भतीजे सचिन सोनी को 1 लाख 80 हजार रुपये मासिक की दर पर 10 माह के लिए लार्वा कंट्रोल का ठेका दिया गया है। दावा है कि लार्वा कंट्रोल का कार्य ठेकेदार द्वारा सभी 8 जोन के इलाकों में कराया जा रहा। पर शहर के किसी भी नागरिक ने आज तक लार्वा कंट्रोल का काम होते नही देखा।
दावा ये भी है कि ठेकेदार सुपरवाइजर और स्टाफ वार्डो में लार्वा कंट्रोल का काम करा रहे। सम्बंधित वार्ड के पार्षद और सेनेटरी इंस्पेक्टर से लार्वा कंट्रोल के काम के बाद हस्ताक्षर कराया जा रहा। ठेकेदार द्वारा लार्वा कंट्रोल के कार्य का वार्डो के पार्षद और सेनेटरी इंस्पेक्टर से प्रमाणीकरण करा प्रस्तुत करने पर ही लार्वा कंट्रोल के बिल का भुगतान किया जा रहा।
एमपी की तरह न हो हालात
ठंड के मौसम में मच्छरों की तादात और भी तेजी से बढ़ती है पर न तो निगम के जिम्मेदार इसकी चिंता है और न बिना काम के 1 लाख 80 हजार रुपये मासिक भुगतान लेने वाले ठेकेदार को जिससे नागरिकों को डेंगू मलेरिया के संक्रमण का भय सता रहा है।
निगम के जिम्मेदारों ने एमपी के ग्वालियर में डेंगू मलेरिया के संक्रमण से बिगड़े हालात का भी भय नही। जहां मच्छरों के दंश से 1000 से अधिक लोग अस्पतालों में उपचार कर रहे वही अब तक 5 लोगो की मौत के आंकड़े भी सामने आ चुके है।

आप भी सुन लीजिए क्या कह रहे जनप्रतिधि
शहर के 8 जोन के सभी वार्डो के लार्वा कंट्रोल का के काम का ठेका 10 माह के लिए 1 लाख 80 हजार रुपये मासिक की दर पर सचिन सोनी को दिया गया है। 3-4 माह हो गए। सम्बंधित वार्ड के पार्षद और सेनेटरी इंस्पेक्टर के प्रमाणीकरण के बाद ही ठेकेदार को लार्वा कंट्रोल के बिल का भुगतान किया जा रहा।
अनुपम तिवारी
स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम बिलासपुर

