
0 कह रहे पार्टी से वसूला जाएगा अमले और संसाधन और अमले के बेगारी का बिल
0 तैनात रहा महिला और पुलिज़ बल, कोई नही आया मौके पर

बिलासपुर। मंगलवार को प्रशासन ने सरकंडा बिरकोना रोड में सरस्वती शिशु मंदिर के सामने शराब कारोबारी परिवार द्वारा पटवाये गए तालाब को आखिरकार फिर खुदवाना शुरू कर दिया समयावधि में आदेश का पालन न करने पर निगम का अमला आधा दर्जम एक्सीवेटर और 10 डंपर के साथ मौके पर लगा रहा तो वही महिला और पुरुष महिला बल भी तैनात रहा।
सुबह तालाब से अवैध अवैध कब्जे को हटाने पहले यहां बनवाये गए बाउंड्री वॉल को ढहाया गया तो वही पाटी गई मिट्टी को खोदवाकर फिर से तालाब बनाने मशक्कत चलती रही।
शासकीय तालाब के 5.80 एकड़ में से कारोबारी परिवार ने 1 एकड़ 10 डिसमिल जमीन को अवैध रूप से मिट्टी डालवाकर पाटवाकर यहां बाउंड्रीवाल करा लिया गया था। बताया जा रहा कि रिकार्ड में यहतालाब के निस्तारी के लिए दर्ज है। जिसे हेरा फेरी कर अपने नाम पर चड़वाकर ये पूरा खेल खेलने की बात सामने आ रही है।

जिला प्रशासन ने इस अवैध कब्जे को हटाने नोटिस जारी कर व्यवसाई परिवार पर जुर्माना ठोंककर बकायदा तालाब को फिर से तालाब बनाकर देने मोहलत दी थी। पर पार्टी ने कोई जवाब तक नही दिया। नतीजतन निगम प्रशासन को अमला और गाड़ी लगवाकर तालाब को खुदवाने का काम शुरू कराना पड़ा। कहा जा रहा कि प्रशासन द्वारा निगम के अमले संसाधन और सुरक्षा के मद्देनजर तैनात पुलिस कर्मियों की तैनाती में आने वाले कार्रवाई के पूरे खर्चे का बिल शराब कारोबारी अमोलक सिंह
गुरुचरण सिंह समेत सभी तीन पार्टनर को भेजा जाएगा।
सवाल यह उठ रहा कि क्या शासन प्रशासन इतना कमजोर है कि रसूखदार सरकारी और संस्थाओं मि जमीनों यहां तक मरघट तक कि जमीनों को अपने नाम पर चड़वाकर बेच दे रहे है। क्योंकि इससे पहले कोनी के एक नेता के नाम सेन्दरी की 10 एकड़ से अधिक जमीन चढ़ा दी गई थी बहतराई में तो कुछ लोगो ने गैंग बना सरकारी जमीन को लोगो को बेच डाला था। तखतपुर रॉड में महर्षि योगी की जमीन मंगला में कब्रिस्तान की जमीन और जगह जगह से इस तरह की शिकायते आ रही पर हो कुछ नही रह है। यही सरकारी जमीन लोग खरीदने के बाद सरकारी दफ्तरों के चककर् काट रहे है।
कौन रोकेगा इन वामन अवतारों को
शहर सीमा से लगे सड़को पर जगह-जगह भूमाफिया छतरी लगवा भाड़े पर बेरोजगार युवक युवतियों को बिठाकर जमीन प्लाट फार्म हाउस बिकवा रहे। सम्भागीय मुख्यालय के इस गोरखधंधे से सरकारी तंत्र अनभिज्ञ है ऐसा बिल्कुल नही है, परन्तु किसी ने आज तक इस बात की जांच नही की की इन वामन अवतावरो के पास इतनी जमीनें आ कहा से रही है कि लगातार बेचकर कालोनियां बसाने के बाद भी इनकी जमीनें ही खत्म नही हो रही है।
क्या ऐसा सम्भव है
सवाल ये भी कि सरकारी, संस्थाओं या दूसरे की निजी जमीन को कैसे दूसरे के नाम पर चढ़ा दी जा रही है। कैसे तालाब शराब कारोबारियों के नाम चढ़ गई, क्या इसमे राजस्व अमले के अफसर या कर्मचारी शामिल नही है ये कौन सा बड़ा खेल खेलने की तैयारी है कि शहर के चारो दिशाओं में सरकारी जमीनों पर नामचीन लोग गिद्ध दृष्टि लगाए बैठे है। क्या अब भी ऐसे खिलाड़ी बोचक जाएँगे या कुछ ठोस होगा।
क्या शासन प्रशासन के पास नही कोई उपाय
सवाल यह भी की छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुए 24 साल हो गए। जनता ने भाजपा- कांग्रेस दोनों को राज सत्ता को मौका दिया। पर इन 24 सालों में इन सरकारों ने जमीनों के इस खेल को बन्द करने कोई ठोस पहल क्यो नही की, और यदि नही की तो क्या अब करेंगे ताकि सरकारी जमीनों में कब्जे का यह खेल खूनी संघर्ष में तब्दील न हो। सरकार क्यो ठोस पहल नही करती की जमीन मकान की रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण भी ऑनलाइन तत्काल हो जाये। इसके लिए अलग से शुल्क और दस्तावेज की अनिवार्यता तय कर इस अवैध कारोबार पर रोक लगाई जाए। ताकि लोग इन अवैध कालोनाइजरों के चक्कर मे फंसकर अपने जीवन भर की जमा पूंजी न गवाकर रोये।
आखिर कब तक चलेगा गन्दा है पर धंधा है
जमीन मकानों की खरीदी बिक्री का सिलसिला कभी खत्म होने वाला नही है ये चलता ही रहेगा दरअसल यही कमजोरी सरकारी तंत्र की कमाई का जरिया है यही वजह है कि कोई इस विषय पर कुछ ठोस पहल करने तैयार नही है वे भी मांन गए है कि गन्दा है पर धंधा है।

