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अजब इंजीनिरिंग गजब ठेकेदारी, सड़क के हिस्से को खुदवा बनवा डाली सर्पाकार नाली

0 मामला राजकिशोर नगर शनिमंदिर के बगल रॉड का
0 खुले गड्ढे ऑफ ठप स्ट्रीट लाइटे हो सकती है अनहोनी

बिलासपुर। नगर निगम कीइंजीनियरिंग और ठेकेदारी कौन दिशा में लेके चला रे बटुहिया की तर्ज पर चल रही है। एक तरफ नाले पर स्लैब डलवाकर आवागमन लिए ज्वाली नाले के ऊपर ढलाई करवा कंक्रीट रोड बनाई गई है। तो वही दूसरी ओर राजकिशोर नगर शनिमंदिर के बगल के कंक्रीट रॉड को खुदवा के सड़क के हिस्से में नाली बनाई जा रही। गाँव का व्यक्ति भी बता देगा कि इलाके में खाली जमीनें है बसाहट बढ़ेगी तो लोगो और गाड़ियों की तादात बढ़ेगी तो यहाँ चलना दूभर होगा जाम लगेगी पर न तो इनको पता न जिम्मेदार अफसर को मतलब।

आप खुद इन तस्वीरों में देखिए कैसे सामुदायिक भवन के बाउंड्रीवाल खम्भो और पेड़ के किनारे के हिस्से की बड़ी जगह को छोड़ सर्पाकार नाली बनाई जा रही है। पैसा खर्चा हो रहा। मौके पर न तो ठेकेदार आते न जिम्मेदार इंजीनियर व अफसर मेट की देखरेख में काम चल रहा।सवाल यह उठ रहा कि जब नए भवन बनेंगे आबादी और गाड़ियों की तादात बढ़ेगी ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा तो फिर समस्या होगी।

चौड़ीकरण होगा कैसे। ठेकेदार तो भुगतान पाकर फारिग हो लेगा समस्या नागरिकों को झेलनी होगी।
आखिर ऐसा मनमाना काम क्यो जब जनता के द्वारा जनता द्वारा चुनी गई सरकार का फंड लग रहा तो दूरगामी स्थिति को देखकर विकास के कार्य हो। निगम प्रशासन की खोदो पाटो और बनाओ तोड़ो बन्द हो शासन के पैसे का सदुपयोग और को नियंत्रित कर आगामी स्थिति को देख ऐसे ईमान कार्यो में उस वार्ड के नागरिकों के हिसाब से काम हो क्योंकि काम जनसुविधा के लिए ही हो रहे है।


सीमेंट गिट्टी की लेयर न्यायधानी में बारिश के पानी से नाली के बहने की घटना हो सबकी है वो भी राजकिशोर नगर में ही और पहली बारिश में ही। ऐसे में सीमेंट और गिट्टी की पतली ढलाई कर बनवाई जा रही नाली कितनी टिकाऊ और मजबूत होगी इसको लेकर भी यहां के रहवासियों में
संशय है।


और मरता है कोई तो मर जाये जैसा रवैया क्यो
सड़क के नाम पर गड्ढा कर छोड़ दिया गया सड़क बत्ती का हाल भी जाहिर है गुप्प अंधेरा छाया रहता है । बेरिकेटिंग या कोई सुरक्षात्मक उपाय तक नही किया गया है ऐसे में कोई अनजान आदमी किसी का घर खोजते यहां आए और गड्ढे में गिरकर हताहत हो जाये या उसकी मौत हो जाये तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
आखिर किस दिशा में जा रहै विकास के काम

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शैलेन्द्र पाण्डेय / संपादक / मोबाइल नंबर : 7000256145
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