
0 क्या शहर के बेरोजगार शहर को स्वच्छ बनाने सक्षम नही
0 सफाई से लेकर कैफे के ठेके दीगर प्रान्त के लोगो और केवल रसूखदारों को क्यो

बिलासपुर। क्या शहर के बेरोजगारों के पास खुद का धंधा शुरू करने 50- 55 हजार नही है। क्या आम शहरी अखबार नही पढ़ते और यदि पढ़ते है तो उनको क्यो नही पता चला कि हैप्पी स्ट्रीट की दुकानें महज 50 हजार रुपये में आबंटित की जा रही। कैसे जूस सेंटर और कैफे की शृंखला खड़ा करने वालो को ही दो दो तीन-तीन दुकाने दे दी गई। इनमे एक आबंटी तो कोरबा का है। जिन्होंने दुकाने ही नही खोली जिसके कारण अब शेष 4 दकानो के आबंटन के लिए फिर से टेंडर प्रक्रिया करने की बात कही जा रही।
निगम प्रशासन ने शनिचरी रपटा से लगे चौपाटी में करोड़ो की लागत से हैप्पी स्ट्रीट का निर्माण कराया है। हरियाली और फव्वारे वाले इस परिसर में 10 स्टॉल बनाये गये है। कहा जा रहा कि नगर निगम के एमआईसी से प्रस्ताव पारित होने के बाद अखबार में निविदा जारी कर इन स्टालों को 50 हजार से उच्चतम बोली पर आबंटित किया गया।

इन्हें आबंटित किए स्टॉल
हैप्पी स्ट्रीट परिसर में 10 स्टॉल है इनमे से 3 स्टॉल सीएमडी कालेज के पास रहने वाले भाजपा से जुड़े परिवार के सदस्य नवीन कछवाहा को आबंटित की गई। इस परिवार के जूस और कैफे सेंटर रेलवे स्टेशन, सिम्स और यूनिवर्सिटी समेत अन्य परिसर में पहले से ही संचालित है। वही 2 स्टॉल कोरबा के शिव कुमार राव वहीं 1 स्टॉल बालको नगर कोरबा के बाबूलाल पाल, सरकंडा के शिव कटारिया और 1 स्टॉल वैशाली नगर के राजेश गुप्ता के नाम आबंटित है। शिव कुमार राव के नाम पर आबंटित दुकाने खोली ही नही गई। इसलिए दोनों दुकान का आबंटन निरस्त कर फिर से 4 दुकानों के लिए निविदा निकाली जाएगी।
शराब ठेके वाला कम्प्यूटर तो नही आ गया
पहले जब शराब भट्टियों के समूहवार ठेके के लिए निविदा के बाद लॉटरी निकाली जाती थी तब सवाल उठते थे कि आबकारी विभाग का कम्प्यूटर हर बार पुराने ठेकेदारों को ही क्यो पहचानती है क्यो उन्ही के नाम ठेके की लॉटरी निकलती है। सम्भवतः अब वही कम्प्यूटर निगम में आ गया है तभी तो हर जगह कैफे और जूस सेंटर के दुकानों की श्रृंखला खड़े करने वाले कारोबारियों को दो-दी, तीन-तीन दुकाने आबंटित कर दी जा रहीं है।

जगदीश और कीर्ति को क्या मिला
सवाल यह उठ रहा कि जिस मोहल्ले के नदी तट से यह हिप्पी स्ट्रीट बनाया गया है उन स्थानीय निवासियों को यहां के स्टॉल क्यो नही मिले। गोड़पारा का कीर्ति होटल की चाकरी और गुपचुप चाट का ठेला लगाने के बाद अब मजबूरन आलू दुकान में नौकरी कर रहा। वही जूना बिलासपुर के जगदीश को भी बिजली दुकान में काम करना पड़ रहा। ऐसे और भी बेरोजगार युवा है जो हैप्पी स्ट्रीट के दुकानों के आबंटन की बाट जोह रहे थे निगम कार्यालय के चक्कर काट रहे थे पर उन्हें पता चला कि यहाँ के 8 स्टॉल आबंटित के दिये गए है।
रसूख है तो है दम
सिम्स के अंदर और सामने परिसर के एटीएम के पास स्टेशनरी दूध जूस कैफे की दुकानें, तहसील के सामने दूध और कैफे ये सब रसूखदारों और बड़ी कम्पनियों को कैसे और किस आधार पर दे दी जा रही। ये दुकाने आम गरीब बेरोजगारों को क्यो नही मिल पाती ये बड़ा सवाल है। कैफे और अंडरग्राउंड दुकाने रसूखदारों को सफाई और कचरा संकलन और सम्पूर्ण निदान के करोड़ो के ठेके दीगर प्रान्त की कम्पनियों को। राजस्व वसूली का ठेका दीगर प्रान्त की कम्पनियों को ऐसा क्यो। क्या शहर के बेरोजगार युवा कचरा प्रबंधन तक के लायक नही है। फिर शहर के बेरोजगारों को रोजगार कैसे मिलेगा। क्या जनता के द्वारा जनता के लिए चुने जाने वाले नगर सरकार और नगर पालिक निगम प्रशासन के पास इन बेरोजगारों के लिए कोई इंतेजाम नही है।
वरिष्ठ गरीबों से बचे तब
सरकार गरीबो के लिए जो योजनाएं बनाती है। उसका फायदा रेडीमेड वरिष्ठ गरीब उठा ले रहे। नेहरू नगर गणेश चौक का महिला समृद्धि बाजार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। गरीब और बेसहारा महिलाओं को आत्म स्वावलम्बी और आत्म निर्भर बनाने की इस योजना में ऐसे वरिष्ठ गरीबो ने भांजी मार दी जिनकी करोड़ो अरबों की सम्पत्ति है सम्पन्न है। जरूरतमंद यहां भी ठगे गये नतीजन यह मार्किट बसने से पहले उजाड़ हो गया। क्योकि जिन्होंने यहां दुकाने ली वे आत्म निर्भर बनने किरायेदार ढूंढने लग गए कुछ किराए पर चल रही कई के शटर अभी भी डाउन है। यहाँ से जो राजस्व आना था वो भी नही आ रहा। रखरखाव के अभाव में परिसर जर्जर हो रहा। दुकानों में छत और दीवारों से सीपेज ही सीपेज आ रहे कोई देखने वाला नही है।
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हैप्पी स्ट्रीट के 10 स्टॉल में से 8 स्टालों को एमआईसी से पारित 50 हजार रुपये के सालाना उच्चतम बोली के लीज पर देने के निर्णय के आधार पर अखबार में निविदा प्रकाशित कराकर की गई है। लोगो ने पर्टीशिपेट नही किया जिन्होंने किया उन्हें आबंटित कर दी गई। इसमे कही कोई गलत नही है। बोली के आधार पर दो-तीन स्टॉल कोई भी ले सकते है। दो स्टोल लेने वाले कोरबा के आबंटी ने दुकाने नही खोली 2 रिक्त थी इसलिए अब 4 दकानो के आबंटन के लिए फिर से निविदा आमंत्रित की जा रही है।
खजांची कुम्हार
अपर आयुक्त नगर निगम बिलासपुर

