

बिलासपुर। 28 करोड़ का लखीराम अग्रवाल ऑडिटोरियम रखरखाव के अभाव में कबाड़ में तब्दील होता जा रहा। अंडरग्राउंड पार्किंग का तो बेहद ही बुरा हाल है जगह जगह से फाल सीलिंग मुँह फाड़ रहे अंदर कही फुटपाथ कारोबारियों के ठेले पुतले भरे है तो कही गोदाम की तरह डीजे और टेंट का सामान भरा है।

शहर के बीच का यह आडिटोरियम निर्माण के बाद से निगम और प्रदेश की सत्ता में काबिज नेताओ के करीबियों के हाथ रहा। किसी ने चाट गुपचुप , दाबेली, मोमोज के ठेले और चिन्दी बाजार को किराए में देकर कमाई की तो किसी ने अन्य गतिविधियों की पर किराया तो दूर बिजली का बिल तक निगम पर लाद गए। मिडियाबाजी से फजीहत हुई तब कही लेदेकर बिजली के बिल का पैसा चुकाए आमदनी तो दूर इस सफेद हाथी साबित हो रहे ऑडिटोरियम का रखरखाव तक भारी पड़ रहा।ये नजारा 28 करोड़ के ऑडिटोरियम के अंडरग्राउंड पार्किंग की है, आप खुद देख लीजिए कैसे रैम्प के बगल में फुटपाथ कारोबारियों के कपड़े के बंडल, ठेले और चिथड़े पड़े है,

ठेला और पुटपाथ कारोबारियों का सामान
फाल सीलिंग जगह जगह से टूटकर गिर रहे। रखरखाव के आभाव में रैम्प और अंदुरुनी बार्डर के ऊपर लगाए गए राजिम स्टोन उधड़े पड़े है।

रखरखाव के अभाव में जगह जगह से टूटकर गिर रहा फाल सीलिंग

जगह जगह उधड़ी पड़ी राजिम स्टोन
बिजली के ग्रिप का बोर्ड जमीन पर उखड़ा पीडीए है। अंधेरा पसरे परिसर में गटर का ढक्कन खुला और पानी भरा मौत के कुएं की तरह महीनों से खुला पड़ा है।

बिजली का उखड़ा पड़ा ग्रिप और घनघोर अंधेरा

खुला पड़ा अंडरग्राउंड नाले का चेम्बर
अंदर गन्दगी और सीलन की बदबू के बीच गिनती की गाड़ियां खड़ी है। टैंट और डीजे वाले ने यहां गोदाम बना रखा है एक साइड में टैंट का सामान और दूसरे साइड में साउंड सर्विस वाले का डीजे सेट रखा है।

पार्किंग में टेंट वाले का गोदाम

साउंड सिस्टम का सामान
आये दिन जलभराव होने के कारण भूतल के पार्किंग की फर्श गीली और दीवारों पर सीलन ही सीलन है। जिम्मेदार अफसरों को यहां देखने की फुर्सत तक नही है। जिससे यह परिसर दिनों दिन और बदहाल होता चला जा रहा है यदि समय रहते इसके उचित रखरखाव का इंतेजाम नही किया तो हालात और भी बदतर हो सकता है।

