
0 पद के दुरुपयोग का जम्बो उदाहरण करा लिया नियमितीकरण
0और इतना माद्दा की दूसरे के भवनों को अवैध बता भेज रहे नोटिस*

गौरवपथ रिंगरोड और उसलापुर बाईपास के कॉर्नर पर नवनिर्मित निगम के भवन शाखा अधिकारी का नवनिर्मित भवन
बिलासपुर। शहर भर को वैध अवैध का पाठ पढ़ाने वाले निगम के भवन शाखा अधिकारी क्या खुद नियम का पालन करने बाध्य नही है। क्या उनके ऊपर कोई नही है और यदि है तो वे क्या देख रहे। कैसे उन्होंने आवासीय प्रयोजन हेतु बीडीए कॉल में आबंटित लीज की जमीन पर अनुमति के विपरीत 3 मंजिला व्यवसायिक काम्प्लेक्स तान दिया और इससे भी बडा सवाल यह है कि जब नवंबर 2023 में उनके भवन का नक्शा पास हुआ तो नियमितीकरण हो कैसे गया।

वो भी तब जब आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री और स्टेट केबिनेट में नगरीय प्रशासन विभाग के पोर्टफोलियो वाले मंत्री यही से है, फिर भी इतना अंधेर। ऐसे ही मामले में नेहरू चौक गणेश नगर चौक का 4 मंजिला भवन ढहा दिया गया तो अब क्या एक्ट बदल गया। क्या सुशासन के दावे वाली सरकार में कद्दावरों के लिए अलग प्रावधान कर दिया गया है।
सत्ता परिवर्तन हो गया।

भवन शाखा अधिकारी के भवन का साइट प्लान
निजाम बदल गए बावजूद इसके नियम कानून को ऐसे तोड़ने मरोड़ने और मनमानी करने वाले जिम्मेदार अफसर का अभी तक बाल बांका नही हुआ।
इतना हो नही तोरवा – देवरीखुर्द मोड़ के पहले भी एक भवन के नियमितीकरण का मामला भी लगातार मीडिया की सुर्खियों में रहा इस भवन में अभी भी बांस बल्ली लगे है निर्माण कार्य चल ही रहा बावजूद इसके इस भवन के मालिक को गत 28 दिसम्बर 2023 को नियमितीकरण का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया।

सरकार के रिपीट होने था दम्भ
इस पूरे मामले में टीएनसी से हटाए गए अफसर और निगम के अफसर ने बेखौफ होकर खेल खेला गया कि सरकार तो रिपीट हो रही बना लेंगे, पर सत्ता परिवर्तन हो गया। 13 दिसम्बर 2023 को सुशासन के दावे वाले विष्णुदेव साय ने शपथ लेकर मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली और इसके महज 15 दिन बाद तोरवा के उस चर्चित अभी तक निर्माणाधीन भवन के मालिक को 28 दिसम्बर 2023 को नियमितीकरण का सर्टिफिकेट तक जारी कर दिया गया।

तोरवा-देवरीखुर्द मोड़ के बीच निर्माणाधीन भवन जिसे दिसम्बर 2024 को नियमित कर दिया गया
लंबा खेल
आरोप है कि नियमितीकरण में लाखों नही करोड़ो रुपये का वारा न्यारा हुआ है। तत्कालीन कांग्रेस शासनकाल मे जारी आदेश के तहत 14 जुलाई 2022 के पूर्व अस्तित्व में आये यानी बनकर तैयार हुए ऐसे भवनों का नियमितीकरण किया जाना था जो बिना अनुमति या अनुमति के विपरीत बना लिए गए है। नियमितीकरण के लिए 9500 आवेदन आये इनमे से 4900 आवेदकों से शुल्क लेकर उनके भवनों को नियमित किया गया। जिससे शासन को 28 करोड़ की आय हुई तो सोचिए झोल कितने करोड़ का हुआ होगा। वही 4600 आवेदनों को विधानसभा फिर लोकसभा चुनाव के आचार संहिता का हवाला देकर लटका दिया गया, और फिर इनको नोटिस जारी करने का खेल खेला गया।
फिर भी डर न भय
इसके बाद भी इन अफसरों को पता नही ऐसा कौन सा लंगोट मिल गया कि पहलवानी जारी रही। इन लोगो ने उन भवन मालिको को धड़ाधड़ नोटिस बंटवाना शुरू कर दिया जिनके नियमितीकरण के फाइलो को कभी चुनाव आचार संहिता तो कभी नियमितीकरण समिति की बैठक न होने और फिर सरकार बदलने का हवाला देकर लटका दिया गया।

कैसे हो गया नियमितीकरण

तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ऐन विधा सभा चुनाव के पहले बिना अनुमति भवन निर्माण करने वालो के भवन को नियमितीकरण करने आवेदन मंगाए। तय नियम के तहत 14 जुलाई 2022 के पूर्व बनकर तैयार भवनों का नियमितीकरण होना था। तब निगम के इस चर्चित अफसर के के भवन की नींव नही डली थी, वही तोरवा के भवन में अभी भी काम चल रहा तो फिर इनका नियमितीकरण कैसे हो गया और कितने का खेला नियमितीकरण कांड में हुआ होगा गए भी जांच का विषय है।

