

बिलासपुर। सोमवार को कांग्रेस में मचे बवाल को जांच करने पहुँची फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के समक्ष पार्टी से निकाले गए नेताओ और जिला पदाधिकारियों ने शिकायतों और प्रमाणों की झड़ी लगा उल्टे पदाधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
नेताओ ने आरोप लगाया कि मांगने पर टिकट देने के बजाय बसपा समर्थित और ऐसे ऐसे नेताओं को टिकट दिए गए जिनका कांग्रेस से कोई लेना देना नही है। कांग्रेस नेता त्रिलोक श्रीवास, अभय नारायण राय, तत्कालीन मेयर रामशरण यादव, सीमा पांडेय ने उल्टे संगठन के पदाधिकारियों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगा एक दूसरे के खिलाफ वीडियो, फोटोग्राफ समेत अन्य सबूत पेश किए। वहीं पार्टी से बाहर किए गए नेताओं ने खुद को निर्दोष बताते हुए अपना पक्ष रखा।
कांग्रेस नेता एवं कमेटी के संयोजक धनेंद्र साहू, सदस्य अरुण वोरा व महेंद्र छाबड़ा के समक्ष बन्द कमरे में ऐसी- ऐसी शिकायते और प्रमाण प्रस्तुत किये कि कमेटी के नेता खुद चकरा गए कि कांग्रेस में आखिर ये चल क्या रहा।

इन नेताओं ने रखा सप्रमाण पक्ष
कमेटी के समक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रवक्ता अभय नारायण राय, प्रदेश सचिव त्रिलोक श्रीवास, महिला कांग्रेस की पूर्व शहर अध्यक्ष सीमा पांडे इसके अलावा जिला पंचायत के नवनिर्वाचित सदस्य राजेंद्र धीवर, राजेंद्र शुक्ला, अंकित गौराहा, झगर राम सूर्यवंशी,भुनेश्वर यादव समेत अन्य नेताओं ने भी मुलाकात कर अपनी बात रखी।
वही संगठन की जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष विजय केसरवानी, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडे, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जावेद मेमन ,विनोद साहू अरविंद शुक्ला ने अपना पक्ष रखा।
नही आये कोटा विधायक
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कोटा विधायक और जिला कांग्रेस कमेटी के बीच हुआ झगड़ा सियासत का मुख्य केंद्र रहा, पर कोटा विधायक तो कमेटी के समक्ष उपस्थित ही नही हुये बताया गया कि वे राजधानी रायपुर में है।
कमेटी करेगी फैसला
कमेटी के प्रमुख कांग्रेस नेता धनेंद्र साहू ने कहा कि कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपेगी। जो भी फैसला होगा पीसीसी करेगी।
बोले अच्छा काम कर रहे अध्यक्ष वे दौड़ में ही नही
प्रदेश कांग्रेस में संगठनात्मक फेरबदल के सवाल पर कमेटी के प्रमुख वरिष्ठ कांग्रेस नेता धनेंद्र साहू ने कहा वर्तमान अध्यक्ष अच्छा काम कर रहे हैं। वे अध्यक्ष पद की दौड़ में नही है।उन्होंने कहा कि संगठन में बदलाव का फैसला पूरी तरह से हाईकमान पर निर्भर है। अगर छत्तीसगढ़ में कोई बदलाव करना होगा, तो वो उचित समय पर प्रदेश नेतृत्व द्वारा किया जाएगा।

