
0 न्यायधानी ही नही पूरे प्रदेश में चल रही जमीनों की अफ़रा-तफरी का खेल
0 राजस्व विभाग का यही रवैया रहा तो पूरे प्रदेश में खूनी संघर्ष का खतरा

रायपुर। प्रदेश में सुशासन का क्या हाल है आप भी जान लीजिए। राजधानी रायपुर से जमीन के एक बडे घोटाले का मामला सामने आ रहा है। जहाँ कॉलेज के लिए आरक्षित डेढ़ सौ करोड़ रुपए की जमीन बिल्डर के नाम पर चढ़ा दी गई है।
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर कॉलेज के लिए आरक्षित जमीन बिल्डर के नाम पर कैसे चढ़ गई ? कौन है वो ताहूदार जिसके इशारे पर बेखौफ अफसरों ने ये बेशकीमती जमीन मुफ्त में बिल्डर को दे दी ? आखिर इस पूरे मामले का गुरु घण्टाल है कौन ?
जब छत्तीसगढ़ की राजधानी मेंसरकारी जमीन की हेराफेरी का ये हाल है यहां प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री राज्यपाल चीफ सेक्रेटरी और पुलिस प्रमुख डीजीपी समेत तमाम बड़े अफसर रहते है।

ये मामला शहर से लगे अमलीडीह में डेढ़ सौ करोड़ रुपए की सरकारी जमीन का है जहाँ कॉलेज के लिए 9 एकड़ जमीन आरक्षित की गई थी जो अब एक बिल्डर के नाम पर चढ़ा दी गई। कालेज के लिए आरक्षित 9 एकड़ जमीन के इस बड़े खेल से भड़के ग्रामीणों ने मुख्य मंत्री को ज्ञापन भेज तत्काल आबंटन निरस्त करने मांग की है साथ ही आबंटन निरस्त न होने पर धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया है। पिछली सरकार में रायपुर ग्रामीण के विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कॉलेज के लिए यह सरकारी जमीन आरक्षित कराई थी। सरकारी कॉलेज अभी स्कूल बिल्डिंग में संचालित है।

इस जमीन पर बिल्डरों की नजर थी जिन्होंने अपने करीबी कलेक्टर के आते ही खेला कर दिया। एक बड़े बिल्डर और इस्कॉन मंदिर ट्रस्ट ने भी इस आरक्षित सरकारी जमीन के लिए आवेदन किया था। बताया जा रहा कि यह आबंटन सत्ता परिवर्तन के बाद गत 28 जून को राजस्व विभाग ने किया है। खास बात यह है कि आबंटन की पूरी प्रक्रिया पिछली सरकार की नीति के मुताबिक किया गया। जबकि सरकार बदलने के बाद सरकारी जमीन के आबंटन और फ्रीहोल्ड संबंधी सभी निर्देशों को 11 जुलाई को निरस्त कर दिया गया। चर्चा है कि जमीन का आबंटन इस आदेश का तोड़ निकालने बैक डेट में किया गया है। कॉलेज की जमीन बिल्डर को आबंटित होने की खबर सामने आने के बाद ग्रामीणों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

