
0 लोग याद कर रहे 80 के धसक के एएसपी बरुआ साहब को
0 डेढ़ घण्टे में ढूंढ़वाकर मंगाई थी चोरी गई मास्टर जी की सायकल

बिलासपुर। यदि पुलिस चाह ले तो मंदिर की सीढ़ी से एक चप्पल तक चोरी नही हो सकती। ये केवल फिल्मी डायलॉग नही हकीकत में ऐसा हुआ है। 80 के दशक में बिलासपुर में एडिशनल एसपी रहे श्री बरुआ ने अपने बच्चों के टयूशन मास्टर के सदर बाजार व्यंकटेश मंदिर के सामने से चोरी गई सायकल को डेढ़ घण्टे में ढूंढ़वा कर मास्टरजी को सौप दिया। पर आज की पुलिसिंग को क्यो जंग लग गई ये समझ से परे है।

अबकी पुलिस मेन पावर का रोना रो कह रही कि वे एक चोरी गई बाइक के लिए सीसीटीवी फुटेज देखने स्टाफ नही भेज सकते। मामला गत 10 सितम्बर को राज्य मानसिक चिकित्सालय परिसर से चोरी गई यहाँ के स्टाफ के बाइक का है।ये इकलौता ऐसा मामला नही है रोज शहर के विभिन्न इलाकों से गाड़ियां चोरी हो रही है। शहर में कई चोर गैंग और गाड़ियों को कटिंग करने वाले सक्रिय है। लोग कह भी रहे कि पुलिस को सब पता है कि किस इलाके में कौन कौन से बाइक चोर गिरोह सक्रिय है और कहां बाइक की कटिंग हो रही है। पुलिस इन्हें पकड़कर चोरी के कई बाइक भी बरामद कर चुकी है।

1980 के दशक की ये घटना और अफसर का नाम तभी 4 दशक बाद लोगो की स्मृति में है। पर सवाल यह उठ रहा कि क्या लोगो की जान माल की सुरक्षा के दायित्व का ढिंढोरा पीटने वाली पुलिस क्या गरीब और अपने व अपने पिता की बीमारी से जूझ रहे सुमित को उसका बाइक ढूंढकर दे पाएगी । क्यो कि गरीब सुमित ने तो पुलिस को फेल्वर मान सेकेंड हैंड बाइक की तलाश शुरू कर दी है क्योंकि उसे रोज डयूटी के लिए सेंदरी राज्य मानसिक चिकित्सालय तक जाने और अपने घर सरकंडा जबड़ापारा आने कितनी दिक्कत आ रही कोई उससे पूछे।

ऐसा हुआ था 80 के दशक में-
विद्यानगर निवासी शिक्षक श्याम सुंदर पाण्डेय उस समय यहां एडिशनल एसपी रहे श्री बरुआ साहब के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने जाते थे। सदर बाजार के वेंकटेश मंदिर में दर्शन और चरणामृत व प्रसाद लेकर वे जैसे ही एडिशनल साहब के यहाँ जाने मंदिर से बाहर निकले उनकी सायकल गायब थी। वे पैदल ही एएसपी साहब के बंगले पहुँचे। एएसपी साहब ने उन्हें पैदल देख उनसे पूछा मास्टरजी आपकी सायकल कहा है मास्टर नई ने बताया चोरी हो गई। एएसपी ने सिटी कोतवाली और सिविल लाइन थानेदार को पूरे घटनाक्रम से अवगत करा थानेदारों को चेतावनी दी कि मास्टरजी उनके यहां डेढ़ घण्टे बच्चों को ट्यूशन पढा रहे तब तक उनकी वही चोरी गई सायकल सही सलामत वापस चाहिए फिर क्या भागमभाग मच गई। दोनों थानों की टीम ने पूर्व में पकड़े गए आरोपियों की धर पकड़ की और चलती पुलिस की उस समय के डग्गा में बिठाकर उनसे पूछताछ की तो एक आरोपी ने सायकल चोरी करने और उसे उस समय कोनी के एक सायकल दुकान संचालक को बेचना बताया। पुलिस कर्मियों ने उस आरोपी और सायकल मिस्त्री को डग्गा में बिठा चलती गाड़ी में सायकल के अलग-अलग किये गए पार्ट्स को कसवा साहब के बंगले में उसी डेढ़ घण्टे में ले जाकर सौपा तब कही जान झूटी।

