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अरपा को टेम्स और बारहों मासी जलाथल करने का दावा फेल, राजनीति और अवैध उत्खनन से बदहाल हुई अंतः सलिला, रसातल में गया शहर का जलस्तर जिम्मेदार कौन…

बिलासपुर। ज्यो ज्यों पांव पड़े सन्तन के हो गए बण्ठाधार, कुछ ऐसा ही हाल है शहरवासियों के आस्था के प्रतीक अंतः सलिला अरपा मैय्या और यहां की राजनीति का। दोनो प्रमुख दल की सरकारें रही और अभी फिर है, सभी ने अरपा को चुनावी मुद्दा बनाया किसी ने लंदन की टेम्स नदी जैसा अरपा को विकसित करने तो किसी ने बारहों मासी जलभराव और सौन्दयीकरण का दावा किया पर किया कुछ नही, अब इसके पीछे उनके पिछलग्गू रेत ठेकेदार का कारोबार प्रभावित होने का भय था या फंड की टोटा या फिर काम कराने वाले अफसरों का ढीला रवैया सभी को इसका जवाब देना होगा, क्योकि सवाल आपके और आपकी अगली पीढ़ी का है। आखिर अंधाधुंध रेत चोरी, अरपा की बदहाली और लगातार गिर रहे जलस्तर के लिए जिम्मेदार है कौन,…?

ये हाल है शहर के बीचोबीच बहने वाली और अंतः सलिला शहरवासियों के आस्था के प्रतीक माँ अरपा मैया अरपा नदी का। अंतर सिर्फ इतना है कि कुछ लोगो ने ता उम्र माँ गंगा की तरह अरपा मैय्या को पूजा , तो किसी ने इसके नाम पर राजनीति और इसका सीना चीरकर रेत का अवैध उत्खनन कराया। इन रेत कारोबारियो के जलवा जलाल का इतना प्रभाव दिखा कि जिसकी सत्ता आई उस पार्टी के नेता और गुर्गे अरपा मैय्या की रेत के मालिक बन बैठे।

लोग कहते थे कि अरपा की रेत खत्म हों जायेगी पर उनका पैसा खत्म नही होगा, ऐसा दिख भी रहा आज अरपा में रेत नही है, पर वे आज भी पूंजीपति है, बारहों माह भूरे रेत और निर्मलजल धारा वाली अंतः सलिला अरपा मैय्या अब मैले गड्ढे में और झड़ियो में तब्दील हो गई। वही इसके नाम पर राजनीति और रेत का कारोबार करने वाले चकाचक हो गए। आलम ये है कि यहाँ रेत कम पड़ने के कारण शिवरीनारायण से रेत मंगानी पड़ रही, नदी तट पर नहावन और मृतकर्म के कार्य के लिए टैंकर बुलवाना पड़ रहा।

एक दौर था जब लोग गर्मी से निजात पाने नदी की रेत में सोते थे, लांड्री संचालक यहाँ कपड़ा धोकर रोजी रोटी कमाते थे। नदी में गर्मी के दिनों में बाड़ी लगाते थे, शहर के किसी भी इलाके में दो लोग घण्टे भर में 10 -12 फ़ीट गहरे में मोटर चलने लायक बोर कर चले जाते थे, गर्मी में जलस्तर गिरने से थोड़ी दिक्कत जरूर होती थी पर जैसे ही बारिश के दिनों में अरपा की छाती पर ठंडे पानी की धार चलती थी घरों- घर कुंए और बोरिंग के जलस्तर रिचार्ज हो जाते थे, रेत चोर नदी को खोदकर रेत बेचते रहे और जलस्तर साल दर साल 8-8, 10-10 मीटर गिरते गया। नतीजतन आज तीन- साढ़े तीन- तीन चार- चार सौ फ़िट में पानी नही मिल रहा, आगे क्या होगा इसके लिए जिम्मेदार है कौन सीजीडीएनए ने यह जानने शहर के नेताओ, अरपा अभियान से जुड़े नागरिक, आमजन व संगठन से जुड़े लोगो से जानने की कोशिश की,,,


सुनिए वे क्या कह रहे….

शिवा मिश्रा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
अनिल तिवारी समाजिक कार्यकर्ता
मनीष अग्रवाल, व्यवसायी एवं सामाजिक कार्यकर्ता
विक्रांत तिवारी, आजाद युवा संगठन

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शैलेन्द्र पाण्डेय / संपादक / मोबाइल नंबर : 7000256145
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