
0 इस निर्णय से नेताओ की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ढेर
0युवा पीढ़ी को नई भा रही श्रद्धा के पर्व के दौरान राजनीतिक व्यवधान

बिलासपुर। छठपूजा समिति ने समाजिक एकता को राजनीति की सीढ़ी बनाने का सपना संजोए नेताओ के मंसूबे पर पानी फेर दिया। समिति ने अध्यक्ष उपध्य्कःऔर सचिव के पद को खत्म कर इस बार सामूहिक नेतृत्व में छठपूजा करने का संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर सबको चौका दिया।
हालांकि इस परिपाटी को खत्म कर राजनीतिक तामलझाम के बजाय पर्व को श्रद्धा के साथ मनाने की मंशा पिछले कई सालों से सामने आ रही थी जो शनिवार को आयोजित पूजा समिति की बैठक के दौरान खुलकर सामने आ गई।।
तोरवा छठ घाट पर छठ महापर्व आयोजित करने की गई आमसभा में सैकड़ों छठ माता के भक्तों ने भाग लिया और कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए। पर सभा में समिति में अध्यक्ष, सचिव और अन्य पदों को निरस्त करने लिए गए निर्णय ने न जाने कितने नेताओ को अंदर तक हिला दिया।
दरअसल समिति ने इस छठ पूजा का आयोजन किसी एक व्यक्ति या अध्यक्ष के नेतृत्व के बजाय सामूहिक समिति के माध्यम से कर इसे राजनीतिक दखल से दूर रखने फैसला ले सबको चौका दिया। भक्तों ने आपसी सहमति से यह निर्णय लिया गया कि छठ पूजा से जुड़ी सारी व्यवस्थाएं और क्रियाकलाप सामूहिक समिति करेगी। इसका उद्देश्य प्रत्येक भक्त को छठ माता की सेवा का अवसर प्रदान करना है बताया जा रहा।

पूजा कार्यालय का शुभारंभ रविवार को
तय कार्यक्रम के मुताबिक रविवार को दोपहर 3:30 बजे छठ घाट पर पूजा
कार्यालय का शुभारंभ किया जाएगा। शुभारंभ अवसर पर समस्त छठ भक्तों को आमंत्रित किया गया है। यह कार्यालय छठ पूजा से संबंधित सभी व्यवस्थाओं के संचालन का केंद्र होगा। इस अवसर पर छठ माता के भक्तों ने समिति के सदस्य के रूप में अपना नाम दर्ज कराया।
जोर का झटका धीरे से
विलासपुर का छठघाट और छठपूजा पूरे देश भर में चर्चित है। बड़ी संख्या में यूपी और बिहार के लोग यहां छठपूजा के।लिए हर साल आते है। बड़ा सामाजिक जुड़ाव होता है राजनीति से जुड़े लोग समाज मे अपना वर्चस्व दिखाने साल भर अपनी पार्टी के बड़े नेताओं को आमंत्रित कर अपना जलवा जलाल जताने की कोशिश करते है पर इस बार इन गतिविधियो पर रोक ही लगा दी गई जाहिर है कि श्रद्धा के इस पर्व से राजनीतिक दखलंदाजी को लेकर बेहफ नाराजगी है तभी तो बदलाव के लिए यह कदम उठाया गया है।
ये रहे मौजूद
आम सभा में विजय ओझा, प्रवीण झा, लव कुमार ओझा, विनोद सिंह, अशोक झा, ए.के. कंठ, गणनाथ मिश्रा, गणेश गिरी, सुनील सिंह, सपना सराफ, अजय बिहारी, पंकज सिंह, दयानंद पासवान, जितेंद्र ठाकुर, नवीन सिंह, संजय सिंह, विजय दुबे, अमरकांत तिवारी, विरेन्द्र तिवारी, हरेन्द्र तिवारी, अवधेश दुबे, हरिओम दुबे, सुभाष तिवारी, पवन सिंह, और मिथलेश ठाकुर अजित पंडित, चन्द्रकिशोर प्रसाद, उग्रनाथ झा, आशीष मिश्रा, और बी.एन. ओझा मौजूद रहे।

