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*एमपी और राजस्थान में कफ सिरप से करीब दो दर्जन नवजात बच्चों की मौत से छत्तीसगढ़ तक खलबली, कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन पहुची सिम्स*

0 ओपीडी, आईपीडी और दवा वितरण केंद्र का लिया जायजा

0 सिरप समेत सभी दवाओं का सेम्पल टेस्ट कराने और गाइडलाइन का पालन करने निर्देश

बिलासपुर। मध्यप्रदेश और राजस्थान में तामिलनाडु और केरल के निर्मित कफ सिरप से हुई लगभग दो दर्जन मौतों के बाद छत्तीसगढ़ में भी हड़कम्प मच गया है। राजधानी रायपुर से पहुँची कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन शिखा राजपूत तिवारी ने बुधवार को सिम्स का जायजा ले अफसरों की बैठक ले दिशा निर्देश दिया।

बताया जा रहा कि प्रिजर्वेटिव एथोलिन ग्लाइकाल की मात्रा अधिक होने की वजह से मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिला अस्पताल, बैतूल और राजस्थान में नवजात शिशुओं की मौत हुई है। ये कफ सिरप केरल और तामिलनाडु के फार्मेसी कंपनियों कर उत्पाद बताये जा रहे।
कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने सिम्स के डीन प्रोफेसर रमणेश मूर्ति, अस्पताल अधीक्षक प्रोफेसर लखन सिंह और विभागाध्यक्षो कि बैठक लेकर यहां के पर डे के ओपीडी, आईपीडी, दवाओं की स्थिति और यहाँ से दी जाने वाली दवाओं की प्रमाणिकता को लेकर जवाबतलब किया, डीन और अधीक्षक ने उन्हें अवगत कराया कि यहाँ मध्यप्रदेश की वो खेप नही आई है, बल्कि सीजीएमएससी की दवाइयां आती है, कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने अस्पताल के दवा वितरण कक्ष से दी जाने वाली सभी सिरप को टेस्ट के लिए लैब भेजकर इसकी गुणवकता की जांच कराने और सेंट्रल गवर्नमेंट के गाइडलाइन के तहत मरीजो को जांच के बाद प्रमाणिक दवाओं का वितरण कराने निर्देश दिए ताकि यहाँ किसी तरह की अनहोनी न हो।
बड़ी विडंबना है कि जिन दवाओं को लोग स्वस्थ्य होने और जसँ बचाने के लिए डॉक्टर के प्रिस्किप्शन के मुताबिक सेवन कर रहे वही लोगो की जान ले रही है, इससे पहले बिलासपुर में भी नसबन्दी कांड में अमानक दवाओं से महिलाओ और कुछ पुरुषों की मौते हुई थी।

प्रोफेसर रमणेश मूर्ति, डीन सिम्स

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शैलेन्द्र पाण्डेय / संपादक / मोबाइल नंबर : 7000256145
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